यूँ तो चुनाव और सरकारें आती जाती रहती है लेकिन ये चुनावी टाइम बहुत चीजें दिखा जाता है. कई दल बदलू लोग सामने आते है और कही कुछ घटिया लोगो की ओछी मानसिकता का नंगा नाच होता है.
ऐसा ही कुछ चुनावी राज्य यूपी में देखने को मिल रहा है । जहाँ शांति प्रिये समुदाय के लोग हिन्दुओं की आपसी फूट और उनको बंटा हुआ देख कर ये अनुमान लगा रहे है की सत्ता परिवर्तन होगा और इसी सोच में वो अपने असली रंग में आ गये है। क्या पुलिस, क्या सोशल मीडिया और क्या शहर वो खुले आम एलान कर रहे है की हमारी सरकार आने के बाद हम भगवा धारियों यानी हिन्दुओं को दिखा देंगे की मुसलमान क्या कर सकता है।
यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर पर यूपी के मुसलमान खुले आम कमेंट कर रहे है की हमारा डर बना रहना जरुरी है, इंशाल्लाह हमारी सरकार आने पर पता लगेगा के मुसलमान क्या कर सकता है। इन लोगो को शायद ये नहीं पता के मुसलमान इसी जिहादी सोच की वजह से आज भी बहुत पीछे है। आतंकवादी कौम का ठप्पा लिए हुए ये लोग इस बात को ऐसे बयानों से और पुख्ता कर रहे है।
जहाँ एक और मीडिया में मुसलमानो को एक तरफ़ा 25-30% दिखाया जाता है तो वहीँ हिन्दुओ को ब्राह्मण, बनिया, जाट, गुर्जर, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति के वोट शेयर के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है । असल में वोट बैंक मुस्लिम नहीं वोट बैंक हिन्दू बनकर रह गया है जिसने अपने आपको धर्म से नीचे गिराकर बाँट लिया है। अब चाहे उसकी आने वाली नस्लों को चाहे कुछ हो उसको इसकी परवाह नहीं उसको परवाह है सेक्युलर दिखने की और जिद में कट्टरपंथियों का साथ देने की।
सारे युवाओं को सरकारी नौकरी चाहिए प्राइवेट कोई करना नहीं चाहता फिर कहते है बेरोजगारी है, अपने जानवरो को इस्तेमाल करने के बाद जब वो दूध देना बंद कर देते या काम के नहीं रहते खुला छोड़ दिया जाता है तब कहते है आवारा पशुओ की समस्या है । बीजेपी की गलती है की वो महंगाई के मोर्चे पर विफल रही है। लेकिन जब बात आयी किसानो की आय दुगनी करने की तो कुछ लोगो ने कृषि कानून लागू ही नहीं होने दिए।
अब कुछ जाट और गुर्जर समुदाय के लोग समाजवादी पार्टी के साथ जाते हुए दिख रहे है लेकिन क्या वो ऐसे वयान और पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव द्वारा पाकिस्तान को दोस्त बताने पर भी उस पार्टी के साथ जाना चाहेंगे या फिर से बीजेपी को सपोर्ट करेंगे ये देखने की बात होगी।
आने वाला चुनाव सही मायनो में आने वाली पीढ़ियों का भविष्य और हिन्दुओं की स्थिति की झलक प्रस्तुत करेगा। बीजेपी जहाँ सुशासन और कानून व्यवस्था को लेकर मैदान में है तो वही सपा और अन्य पार्टियां फ्री फ्री फ्री और मुसलमानो के रहनुमा के तौर पर खुद को प्रस्तुत कर रही है। लेकिन अब तक के सारे सर्वे बीजेपी की ही वापसी का संकेत दे रहे है। ऐसे में ये चुनाव और भी दिलचस्प हो जाता है की खुले आम चुनौती देने वालो की सरकार बनेगी या फिर से योगी मुख्यमंत्री बनेंगे।